राजस्थान पुलिस का मिलाप अभियान लाया खुशियों की सौगात, 133 गुमशुदा बालक-बालिकाएं तलाशे गए

जयपुर (राकेश दाधीच). कोरोना संकटकाल में अपनी बेहतरीन सेवाओं के लिए आमजन में अच्छी छवि बनाने में कामयाब रही राजस्थान पुलिस की एक और अनुकरणीय पहल कई अभिभावकों, बच्चों और उनके परिजनों के चेहरे पर मुस्कान लाने में कामयाब रही है. राजस्थान पुलिस द्वारा गुमशुदा नाबालिग बच्चों की तलाश एवं पुर्नस्थापना के लिए फरवरी माह में चलाए जा रहे विशेष अभियान मिलाप के तहत अब तक 606 बच्चों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है एवं अन्य राज्यों के 5 गुमशुदा बच्चों के साथ ही कुल 133 गुमशुदा बच्चों को तलाशा जाकर दस्तयाब किया जा चुका है.
राजस्थान पुलिस के महानिदेशक पुलिस एमएल लाठर की यह अनूठी पहल रही. जिसमें उनके मातहत अधिकारियों ने भी पूरी मेहनत से अपना फर्ज निभाया. महानिदेशक के निर्देश पर संचालित इस अभियान के तहत अब तक कुल 164 गुमशुदा नाबालिक बच्चों का पुनर्वास भी किया जा चुका है.
अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस नीना सिंह का कहना है कि राजस्थान पुलिस द्वारा 1 फरवरी से 28 फरवरी तक गुमशुदा नाबालिक बच्चों की तलाश हेतु विशेष अभियान मिलाप संचालित किया. जो आगे भी जारी है. इस अभियान के लिए पुलिस अधीक्षक कल्याण मल मीणा को स्टेट नोडल अधिकारी बनाया गया है. अभियान के लिए प्रदेश के सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश जारी कर व्यापक स्तर पर तैयारियां की गई हैं. पुलिस अधीक्षकों को उनके जिलों के सभी थानों पर वेब पोर्टल http:trackthemmissingchild.gov.in का आवश्यक रूप से कार्यरत होने एवं उन पर गुमशुदा बच्चों के बारे में समस्त सूचनाएं इंद्राज करना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है.
उन्होंने बताया कि सभी जिलों के गुमशुदा बच्चों की एक डायरेक्टरी तैयार की गई है. प्रत्येक गुमशुदा बच्चे की हायर रेजुलेशन फोटोग्राफ्स व अन्य सभी विवरण इस डायरेक्टरी में अंकित कर अभियान से जुड़ी प्रत्येक टीम को यह डायरेक्टरी उपलब्ध करवाई गई है. पुलिस अधीक्षक अपने जिलों के समाज कल्याण विभाग, बाल अधिकारिता विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, चिल्ड्रन होम, शेल्टर होम एवं जिला बाल कल्याण समिति के साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओं से समन्वय स्थापित करते हुए यह कार्य कर रहे हैं. प्रत्येक जिले में स्थित शेल्टर होम, चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट, अनाथालय व अन्य संस्थाओं में निवासरत बालक बालिकाओं के बारे में भी गहनता से जानकारी लेकर http:trackthemmissingchild.gov.in व खोया पाया पोर्टल से मिलान कर बच्चों को परिजनों को सुपुर्द किया जाना सुनिश्चित किया करने के निर्देश दिए गए हैं.
पुलिस अधीक्षकों को समस्त पुलिसकर्मियों को इस अभियान के बारे में विशेष रूप से राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम.2011 के बारे में अवगत कराने के निर्देश दिए गए हैं. इन निर्देशों को प्रत्येक रोल कॉल में पढ़कर सुनाने और समझाने हेतु भी निर्देशित किया गया है. बीट बुक में बीट प्रभारी को गुमशुदा बच्चों का विवरण मय फोटो के इंद्राज करने के भी निर्देश जारी किए गए हैं.
अतिरिक्त महानिदेशक ने बताया कि प्रत्येक पुलिस अधीक्षकों द्वारा अपने जिले में गुमशुदा नाबालिक बच्चों की स्क्रीनिंग करने के लिए थानावार टीमे गठित की गयी है. इन टीमों में रूचि रखने वाले सुपरवाइजरी पुलिस अधिकारी के साथ ही 4 कांस्टेबल शामिल किए गए हैं. इन कर्मियों को जेजे एक्ट, पोक्सो एक्ट एवं बाल अधिकारों को संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया है. टीमों में जिला कलेक्टर से समन्वय स्थापित कर महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ ही स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है. गठित टीमों को अभियान के दौरान शेल्टर होम, रेलवे प्लेटफार्म, बस स्टैंड, धार्मिक स्थल आदि में जाकर सभी बच्चों की स्क्रीनिंग करने और स्क्रीनिंग के उपरांत गुमशुदा या मानव तस्करी की श्रेणी में आए बच्चों का पूर्ण विवरण मय फोटोग्राफ के संधारित करने के निर्देश दिए गए हैं.
दस्तयाब किए गए बच्चों का मेडिकल परीक्षण करवाने के बाद उन्हें संबंधित चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष प्रस्तुत कर अग्रिम कार्यवाही की जा रही है. बच्चों का संपूर्ण विवरण मिसिंग चाइल्ड पोर्टल पर भी अपलोड किया जा रहा है. दस्तयाब किए गए बच्चों के संबंध में जेजे एक्ट में वर्णित देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को अमल में लाने के निर्देश दिए गए हैं और ऐसे बच्चों की पुर्नस्थापना हेतु सभी संबंधित विभागों का सहयोग लेकर इनका पुनः री विक्टिमाइजेशन की संभावना ना होना सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं. दस्तयाब किए गए गुमशुदा बच्चों के माता.पिता व परिजनों को इस बारे में सूचना उपलब्ध कराने के लिए उन्हें बच्चों का विवरण http:trackthemmissingchild.gov.in पोर्टल आदि पर जानकारी दी जा रही है. गुमशुदा बालिकाओं के मामले में पूछताछ के लिए महिला अधिकारी अनुसंधान अधिकारी के रूप में नियुक्त की गई है.